शौर्ट स्टोरी चैलेंज
शौर्ट स्टोरी चैलेंज
जॉर्नर: प्रेम
शीर्षक: बसंतोत्सव
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"एक पीला जो उसने सजाया था,
एक सफ़ेद ,एक लाल पर लहलाया था.।"
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हिमाचल ...
कुल्लू मनाली ..
पीली सरसों और पीले फूलों के बीच लग रहा था वह अभी अभी जन्मी है ।
पहले ऐसे खूबसूरत नजारे जैसे पहाड़ नदियां ,झीलें ,पोखर ,आसमां,चांद ना नजर आए कभी ।
पतझड़ के बाद शरद और पतझड़ के बाद बसंत ----
वह नदी के तट पर गई, छोटे -छोटे पत्थरों व थोड़ी बड़ी चट्टानों के बीच ऊंची से पत्थर पर बैठ गई ।इतना साफ पानी..नीचे तक पत्थर ही पत्थर , छोटी मच्छली और छोटे - छोटे शैल ,शवक व जीव दिख रहे थे । उसने अपने पांवों को नीचे पानी में उतारा और छप- छप कर हिलाने लगी ।
\\\'रत्ना \\\'सुंदर लग रही थी बहुत ,सर पर टोपी और आभूषणों से गुंथी हुई फूल सी नाजुक हिमाचली बाला ।
अभी बसंत के आने का इंतज़ार कर रही थी । सपनों में प्रियवर के खाब देख रही थी । उसे लगता था जाने कैसा होगा उसका होने वाला शौहर ?
उसने एक पत्ते को हौले से छुआ और पूछा,"सुन !! री सुन कहां है मेरे होने वाले शौहर ?"
ऋतुराज बसंत का आगमन जोरों पर था,चहुं दिशाऐं स्वागत की तैयारी में । उसने अपने पीले रंग के दुपट्टा को मुंह पर ओढ़ा ,हौले से एक झौंका आया और दुपट्टा उड़ा ले गया ।
बसंत पूरे शबाब पर था ---
एक भ्रमर फूलों के ऊपर मंडरा रहा था । वह मुग्ध हो रही थी ..तभी ..
एक स्वर सुनिऐ इधर \\\'खेड़ा\\\' स्कूल जाने का रास्ता किधर है ?"
टेढ़ी नजरों से उसने निहारा एक सुंदर गठीला नौजवान उसके सामने था । वह जो.सोच रही थी सच में ही उसको देख मन प्रसन्न हो गया ।
वह कुछ झेंपते हुए बोली"जी ,इधर से एक पगडंडी बाईं तरफ से जाती है, पास में झरना है ,उधर से महकती है फूलों की घाटी सरकारी स्कूल है वहीं पर है । "
उसे कुछ सोच में पड़ गई बोली ,"जी किसके घर जाना है ?"
"जी जाना तो स्कूल था ,अभी नया मास्टर हूं जूनियर कक्षा का ।"
ओहह ..! आप कहां से आए हैं.? और आप क्या पढ़ाते हैं ?"
बेबाक प्रश्नों से उसे कुछ असहज महसूस होने लगा था । उत्तर नहीं देना चाहता था।
फिर भी मुस्कराते हुये उसने कहा," मैं गणित और विज्ञान विषय पढ़ाता हूं । शिमला से आया हूं ।"
वह एक दम शांत था । उसको उसकी सुंदरता या उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी।
उसको नौजवान बहुत अच्छा लगा । मन ही मन ख्यालों में खो गई थी वह । सोच रही थी ,"काश!! दिल की बात पढ़ ले तो मजा आ जाए ।" उसके चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी ।
वह बोला," कुछ कहा क्या आपने ?"
अच्छा !! नहीं तो..!! बहम था फिर तो.."और हंसने लगी।"ह्म्म्म् ये कह रही हूं चलिए आपको मैं छोड़ देती हूं स्कूल तक। तो चलें।"
आखिर उसने पूछ ही लिया," आपका नाम? मैं भूल गई पूछना ।"
मेरा नाम \\\'मयंक\\\' है...और आपका? वह बोला ।
"मेरा नाम रत्ना "..वह बोली।
वह उसको स्कूल तक छोड़ घर की तरफ चल दी । स्कूल में फंक्शन की तैयारियां जोर शोर से चल रही थी ।
मयंक का जादू ऐसे चला कि ,उसके साथ के साथ रत्ना हर हाल में बात करना चाहती थी ---
वह बहाने से विद्यालय गई थी ,शर्मिले मयंक को कुछ अटपटा सा लगा ।
वह स्कूल में बसंत्तोत्हव की तैयारी में व्यस्त था ,रत्ना पहुंच गई ।
बोली," सुनिए कब और कितने बजे है प्रोग्राम ? क्या मैं भी आ सकती हूं देखने ?"
"जी बिल्कुल !"मयंक बोला ।
सोच रही थी ," कैसे बात करे मयंक से आगे ?" बोली सुनिए....मुझे आप बहुत अच्छे लगते हैं और.मैं भी क्या आपको अच्छी लगती हूं?? क्या आप मुझसे विवाह करेंगें.. ?"
अभी इतने कम समय में एक दूसरे को जानने लगे थे और अचानक ऐसे असमंजस स्थिति हो गई थी मयंक की । सुना और कोशिश करने लगा मुस्कराने की और बोला," अरे ! मैं अभी आपको ठीक से जानता भी नहीं हूं । कैसे ?"
"मेरे पिता गांव के पॉस्ट ऑफिस के हेड थे । अब उनका गांव के बाहर स्थानांतरण हो चुका है। मैं.घर में मां को बता चूकी हूं..आप मुझे काफी पसंद हैं। आपका क्या ख्याल है?? " रत्ना बेझिझक बोली ।
वह बोला ,"सुनो अच्छा है.. मुझे भी तुम पसंद हो लेकिन, एक कहानी है.। इजाजत हो तो सुनाऊं ?यदि बुरा लगे तो माफी चाहूंगा ।"
"अरे नहीं !! सुनाऐं आप?"वह बोली ।
वह बोला," तो सुनिए.....मेरा एक घनिष्ठ मित्र था वह एक लड़की से बहुत प्रेम करता था । अचानक दोस्त की मौत हो गई । दोनों की शादी होने वाली थी । लड़की सदमा ना बर्दाश्त कर सकी । वह अपनी सुध बुध बिसर गई है । डॉक्टरों का मानना है कि ,उसे मानसिक इलाज की आवश्यकता है ,उसको वहीं से स्थिति से उबारना है ,उसके मानसिक आघात को कम कर ऊपर लाना है । जिसके लिए तुमको भी मेरी मदद करनी होगी । उसका जीवन में कोई नहीं है । अभी वह मेरी मां के साथ ही है ।"
ओहह ..ऐसा है तो कब आएंगी वह ?" वह बोली ।
मयंक बोला," जल्दी ही।"
वह उत्सुक थी उससे मिलने ।
बसंत्तोत्हव के नगाड़े ढोल बज रहे थे ..रत्ना सोच रही थी उसकी जिंदगी में पतझड़ कैसे आ गया बिन शीत के । लेकिन प्रभु की इच्छा जान स्वीकार कर ली चुनौती भी ।
आगामी हफ्ते वह " मिताली " को ला रहा था । रत्ना के प्रेम की घोर परीक्षा भी थी।
मां और मिताली को शिमला से हिमाचल ले आया ।
रत्ना जैसे ही मिताली के पास गई ..मिताली बोली," ऐ लड़की ....चल जा यहां से ... कौन हो तुम लोग ? मुझे यहाँ क्यों लाए हो?.भूषण कहां है ? उसने कहा था मैं जल्दी आऊंगा ।।"
वह रत्ना को जोर से धक्का देकर भाग गई वह । रत्ना अपने को सम्भाला ...।
रत्ना मिताली के पास जाती वह गुस्सा हो जाती और चीजें फेंकती ।वह उदास रहने लगी ,सोची," यही सब लिखना था ,इसके भाग्य में ईश्वर क्यों औरत बनाया इसे ।ओहह !!"
मिताली को प्यार से पुचकारा और उसको आत्मियता से उसके कंधे पर हाथ रख बोली," सुनो मीतू । तुम बहुत अच्छी हो ।"
नहीं मैं अच्छी नहीं ..अगर अच्छी होती तो क्या भूषण मेरे जीवन के बसंत को पतझड़ बनाते।" कहकर जोर जोर से रोने लगी मिताली।
"नहीं तुम बहुत अच्छी हो ।अगर अच्छी ना होती तो हमको कैसे मिलती तुम? बताओ??"रत्ना की आवाज में अपनापन था ।
समय बीता जीवन व्यवस्थित हो रहा था ...!
ऐसा ही होता जब भी दोनों मिलते मिताली और रत्ना खूब बातें करते । रत्ना के अपनेपन ने असर दिखाया और ठीक एक साल बाद मिताली बिल्कुल स्वस्थ्य हो गई ।
जीत प्रेम की हुई ..आखिर ..!!
बसंत्तोसव हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है ...जो बसंत कभी भूषण छोड़ गया था उसे मिताली की जीवन से ..उसे रत्ना और मयंक ने पुनर्जीवित कर,दिया....।
मिताली और रत्ना पीले वस्त्र पहन बाग की ओर जा रही है.जहाँ बसंत्तोत्सव उनका बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है ।
सरस्वती वंदन के स्वर मिल रहें हैं...
वर दे वीणा वादिनी वर दे...
विद्या अनुपम भंडार भर दे...!!
उल्लास से भरा उनके जीवन का चिर स्थाई आ गया है----
" बसंत्तोत्सव.!!!""
#लेखनी
#लेखनी कहानी
#लेखनी कहानी का सफर
सुनंदा.💝💚💛✍🎴
Shnaya
28-May-2022 07:54 PM
👌👏🙏🏻
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Seema Priyadarshini sahay
26-May-2022 05:01 PM
शानदार लेखन👌👌
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ऋषभ दिव्येन्द्र
26-May-2022 12:44 PM
बहुत ही सुन्दर रचना 👌👌
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